Wednesday, January 16, 2008

बस खुदा याद आया ..


आँखें जब भी बंद की , एक चेहरा रोशन होता पाया ,
तुमको जब जब देखा , मुझे बस खुदा याद आया ..

दिल की गहराइयों से जैसे यह अहसास उभर कर आया
तुमको जब जब देखा , मुझे बस खुदा याद आया ..

हाथ की सारी लकीरों से बस तुम्हारा नाम बनता पाया
तुमको जब जब देखा , मुझे बस खुदा याद आया ..

होठों की मुस्कानों की वजहों में बस तुमको पाया
तुमको जब जब देखा , मुझे बस खुदा याद आया..

जिन्दगी की हर राह को तुम तक खत्म होते पाया ,
तुमको जब जब देखा , मुझे बस खुदा याद आया ..

तुम पर लिखी हर ग़ज़ल को एक इबादत बनते पाया
तुमको जब जब देखा , मुझे बस खुदा याद आया ..

ज़माने ने भी एक दिन मुझे काफिर ठहरा दिया
तुमको जब जब देखा .. मुझे बस खुदा याद आया ..


मौत को भी अपने सामने मजबूर होता पाया क्योंकि
तुमको जब जब देखा .. मुझे बस खुदा याद आया ..बस खुदा याद आया ....




Thursday, January 10, 2008

टीस


जब जब मेरे कलम की स्याही बनी टीस,
मेरे ज़ख्मों की दवाई बनी टीस

जब जब मेरे हूक -ऐ -हलक की आह बनी टीस,
मेरी खामोशी की वजह बनी टीस

जब जब मेरी एक बेनूर परछाई बनी टीस,
वहीं एक ताबिंदगी दिखती बनी टीस

जब जब मेरी करवटों की रात बनी टीस,
सुबह सलवटों में बन कर मिटी टीस

जब जब अश्कों में काजल घुल कर गुजरी टीस,
हर रंजो ग़म को स्याह कर .. बिसरी टीस ।