पत्थर गिराया है आज तूने अहसासों के पानी में
सोचो तो गहराया दायरा, समझो तो उभरी शकल है
मश्क़ कहाँ ले जाएँ , शायर की सोच बड़ी गज़ब है
सोचो तो लफ्जों का हुजूम , समझो तो इक ग़ज़ल है ..
सोचो तो लफ्जों का हुजूम , समझो तो इक ग़ज़ल है ..
आफरीन जो भरते हो अहले-कलम के इन शेरो पर
सोचो तो फन बेनज़ीर, समझो तो दिल का खलल है
सोचो तो फन बेनज़ीर, समझो तो दिल का खलल है
इंसानों की भी कल्बे हिकमत अजब है , क्या कहना
सोचो तो दो मजारें हैं, समझो तो ताज महल है..