
किसी ने घूंघट खोला है कहीं खुशी का
तो किसी की पलकों में कैद आज नमी है
सुना है घर किसी का रोशन है बेपनाह,
तो कहीं एक अहले दिल ज़ख्मी है
तो किसी की पलकों में कैद आज नमी है
सुना है घर किसी का रोशन है बेपनाह,
तो कहीं एक अहले दिल ज़ख्मी है
कहीं फ़सले गुल हर तरफ़ है फैला
तो कहीं बर्बादी कर रही 'सुनामी' है
कोई उड़ रहा है अपने आसमां में
तो ज़लज़ले की कब्र बनी कहीं ज़मीं है
क्रिसमस की है खुशियाँ मन रहीं कहीं
तो ईद की निदा वहाँ धमाकों से थमीं है
औरत चाँद के रथ पर है सवार आज
तो कहीं ‘नसरीन’ नज़रबंद सहमी है .
आज कोई खुशी से कहकहे लगा रहा है
तो किसी की आह में भी कुछ कमी है
खड़ी है मौत ज़िंदगी के सामने बेबस,
तो कहीं सासों से ही मजबूर आदमी है ..
तो कहीं बर्बादी कर रही 'सुनामी' है
कोई उड़ रहा है अपने आसमां में
तो ज़लज़ले की कब्र बनी कहीं ज़मीं है
क्रिसमस की है खुशियाँ मन रहीं कहीं
तो ईद की निदा वहाँ धमाकों से थमीं है
औरत चाँद के रथ पर है सवार आज
तो कहीं ‘नसरीन’ नज़रबंद सहमी है .
आज कोई खुशी से कहकहे लगा रहा है
तो किसी की आह में भी कुछ कमी है
खड़ी है मौत ज़िंदगी के सामने बेबस,
तो कहीं सासों से ही मजबूर आदमी है ..
1 comment:
ज़िन्दगी के तानाबाना सबका एक जैसा नहीं होता, यह बख़ूबी बयान किया है, अच्छा लगा आपके मन का उदगार जानकर...
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