Friday, August 24, 2007

चेहरा बदलती है ..

ख्वायिशों के जंगल में मन -मृग सी भटकती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

रिश्ते नातों के बन्धन में एक डोर बनकर उलझती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

धुन्ध्लाते हुए आईने में एक उम्र बनकर घटती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

खामोश खंडहरों में एक सदा बनकर गूंजती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

वक़्त के आसमां में एक सांझ बनकर ढलती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

जुदाई के पर्वत से एक आंसू बनकर पिघलती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

ख्वाब ..तो कभी हकीकत , अपना नाम तक बदलती रहती है ..
ए मोहब्बत ... तू हर पल अपना चेहरा बदलती है ..

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