Monday, November 26, 2007

सिर्फ़ एक दिखावा है..

असलियत के बुत पर जैसे .. नकली पहनावा है ..
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ..

आंखों से जो दिखता .. वो तो एक छलावा है ..
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ..

न मिलेगा चैन तुझे यहाँ ,यह मेरा दावा है ..
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ..

एक पल की मोहब्बत ही अब आब -ओ -हवा है ..
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ..

हर दम भागते हम बंदो का क्या काशी क्या काबा है ..
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ..

न सोचने के लिए ख्याल है ,न जज्बों का जमावा है
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ..

अकेले दिन गुज़ारते हैं , आया न यार का बुलावा है ,
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है


लफ्जों से छलकता तेरा दर्द पाता बस वाह - वाह है
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ॥

1 comment:

डाॅ रामजी गिरि said...

Good flow of words n deeper philosophy of life u have depicted here..
But this line
यह जीना भी क्या जीना ,सिर्फ़ एक दिखावा है ॥
cud have been used wid lesser repetitions.