
कर दो नसीब भले ही आंसुओं का सैलाब किसी को
लग कर रो सके वह रब्बा , एक दामन ऐसा ज़रूर करना ..
अपने सारे ज़ख्मों को वो ठंडक का मरहम लगा पाये
एक दफा ज़िंदगी में रब्बा , एक सावन ऐसा ज़रूर करना ..
मिल सके उसको बारी बराबर , ज़माने की बाज़ियों में
पत्तों की तरह खेलें रब्बा , ताश हों बावन ऐसा ज़रूर करना ..
एक मर्यादा में हो जूनून , हर घात लगाये उस लुटेरे का
कलयुग नारी के लिए तुम रब्बा , एक रावण ऐसा ज़रूर करना ..
जो अपनी हकीक़तों के खौफ से कभी चैन से सो ही न सका
आखिरी नींद का सपना तो रब्बा , मनभावन ऐसा ज़रूर करना ..
फूलों का साथ ले , जो राख बनकर घुला बहा जा रहा है
आज गंगा में मोक्ष उसका रब्बा ...एक पावन ऐसा ज़रूर करना ..
लग कर रो सके वह रब्बा , एक दामन ऐसा ज़रूर करना ..
अपने सारे ज़ख्मों को वो ठंडक का मरहम लगा पाये
एक दफा ज़िंदगी में रब्बा , एक सावन ऐसा ज़रूर करना ..
मिल सके उसको बारी बराबर , ज़माने की बाज़ियों में
पत्तों की तरह खेलें रब्बा , ताश हों बावन ऐसा ज़रूर करना ..
एक मर्यादा में हो जूनून , हर घात लगाये उस लुटेरे का
कलयुग नारी के लिए तुम रब्बा , एक रावण ऐसा ज़रूर करना ..
जो अपनी हकीक़तों के खौफ से कभी चैन से सो ही न सका
आखिरी नींद का सपना तो रब्बा , मनभावन ऐसा ज़रूर करना ..
फूलों का साथ ले , जो राख बनकर घुला बहा जा रहा है
आज गंगा में मोक्ष उसका रब्बा ...एक पावन ऐसा ज़रूर करना ..
1 comment:
अच्छा ब्लॉग है...आप ये भी पढ़ें और हमसे जुड़ें...आपको अच्छा लगेगा.....
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