
अनजाने ग़र खडें हों हर तरफ़ तेरे
तो तनहाई ही को तू गले लगा ले ,
मजबूरियां तेरी राहों में आयें तो
उन्हें अपना शौक बना ले ॥
उन्हें अपना शौक बना ले ॥
ख्वाब टूटें बार - बार गर तो
उन्हें बस पानी बनाकर आंखों से बहा दे ,
उन्हें बस पानी बनाकर आंखों से बहा दे ,
अक्स ही गर तेरा तुझसे सवाल करे तो
आइना दिन -रात देखना भुला दे ॥
आइना दिन -रात देखना भुला दे ॥
तेरा मीत गर ज़ख्मों से तुझे नवाज़े
तो तू इस दर्द को ही एक दवा बना ले ,
तो तू इस दर्द को ही एक दवा बना ले ,
लफ्ज़ गर लड़ खड़ाये जब भी नाकामी पे तेरे ,
तो खामोशी अपनी जुबां बना ले ॥
तो खामोशी अपनी जुबां बना ले ॥
रौशनी पर भी गर तू आगे न बढ़े
तो अपनी परछाई को सहारा बना ले ,
तो अपनी परछाई को सहारा बना ले ,
नहीं खत्म होगा यह सफर तेरा
तू हर मस्लक पर एक खेमा बिछा ले ..
तू हर मस्लक पर एक खेमा बिछा ले ..
1 comment:
ख्वाब टूटें बार - बार गर तो
रौशनी पर भी गर तू आगे न बढ़े
तो अपनी परछाई को सहारा बना ले ,
i have no words,so deep meaning,so good,inspirational peom it is.
:)
keep it up
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