Thursday, August 23, 2007

शायद...



खामोश रहना भी चाहती हूँ बातें करना भी चाहती हूँ
शायद मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूँ ॥

में रोना भी चाहती हूँ में हँसना भी चाहती हूं
शायद मैं तुम्हारे वो ख़त पढ़ना चाहती हूँ । .

तुमसे दूर जाना भी चाहती हूँ तुम्हारे नजदीक रहना भी चाहती हूँ
शायद मैं कोई नया इम्तेहान देना चाहती हूँ ॥

मैं डूब जाना भी चाहती हूँ मैं उबर जाना भी चाहती हूं
शायद मैं पानी को मुठी मैं लेना चाहती हूँ । .

जिन्दगी जीना भी चाहती हूँ मौत को देखना भी चाहती हूं
शायद मैं ख़ुद को साबित करना चाहती हूँ ...

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