
जब रास्ते जाने पहचाने हो तो ..मंज़िल क़रीब लगती है ..
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है..
सागर किनारे पड़े इन बेरंग पत्थरों में . .एक सीपी बड़ी अजीब दिखती है
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है ..
उतार चढाव , खुशी गम , पाना खोना हर रंग में जिन्दगी हबीब लगती है ..
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है ..
हाथ से छूटते पलों को देखकर भी जवानी उठकर 'ज़ेहनसीब ' कहती है ..
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है ..
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है..
सागर किनारे पड़े इन बेरंग पत्थरों में . .एक सीपी बड़ी अजीब दिखती है
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है ..
उतार चढाव , खुशी गम , पाना खोना हर रंग में जिन्दगी हबीब लगती है ..
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है ..
हाथ से छूटते पलों को देखकर भी जवानी उठकर 'ज़ेहनसीब ' कहती है ..
तुम होते हो जब पास मेरे हर साँस खुशनसीब लगती है ..
2 comments:
"सागर किनारे पड़े इन बेरंग पत्थरों में . .एक सीपी बड़ी अजीब दिखती है"
सीपियाँ पहचानने की कला आपके पास है है ,प्रभाजी .....इसलिए आपकी रचनाए इस तरह दिल को गहरे छूती है .आप सच कहती है ,साथी के आभा में हर चीज़ हसीन लगती है
"सागर किनारे पड़े इन बेरंग पत्थरों में . .एक सीपी बड़ी अजीब दिखती है"
सीपियाँ पहचानने की कला आपके पास है है , प्रगति.....इसलिए आपकी रचनाए इस तरह दिल को गहरे छूती है .आप सच कहती है ,साथी के आभा में हर चीज़ हसीन लगती है
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