
सत्रह मई उन्नीस सौ उन्यासी
और छः बजकर बीस मिनट
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
दादी की गोद से माँ के आँचल तक
बाबा की छाया से बहन के साथ तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
चार बाग़ के स्कूल से "आई पी एम " तक
बचपन के घर से विकास नगर तक
लखनऊ से फरीदाबाद तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
अपने पहले लाल भालू से
सचमुच के "मानस " तक
अवी के मधुर प्रेम से
लवी की प्यारी आंखों तक
और छः बजकर बीस मिनट
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
दादी की गोद से माँ के आँचल तक
बाबा की छाया से बहन के साथ तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
चार बाग़ के स्कूल से "आई पी एम " तक
बचपन के घर से विकास नगर तक
लखनऊ से फरीदाबाद तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
अपने पहले लाल भालू से
सचमुच के "मानस " तक
अवी के मधुर प्रेम से
लवी की प्यारी आंखों तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष ..
विवाह की अनगिनत स्मृतियों से
ताज महल की छवियों तक
दो वर्ष की ख़ुशी और गम से
उन नन्हे पैरों की आशा तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
एक बेटी.. एक बहन..
फिर एक पत्नी एक बहु
और आज माँ बनने की ख्वायिश तक
उम्र के यह अठआयिस वर्ष।
2 comments:
I really like this creation....and it is beautiful yet painful cration of thoughts....a very good starting and a good end as well...
Hats off to you Pragati...
keep writing....
bahut hee ache shabdo mai aapne jevan kee is yatra ko kaha hai lekin abhee poorna viram bahut door hai aur pragati ko prograssive hona hai
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