
मेरी हंसी पे मत जाना ए दोस्त
हमने गम छुपाने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरी आहों को तू साँस मत समझ
हमने जिए जाने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरी पलकों की हलचल को ऐसे मत देख
हमने अश्क पोछने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ..
मेरी धड़कन को तू सुना न कर
हमने तेरा नाम लेने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरी नब्ज़ थामकर तू क्या गिनता है
मने तेरी छुअन पाने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरा चेहरा ढक कर तू अब चला जा ॥
हमने नींद लेने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ..
हमने गम छुपाने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरी आहों को तू साँस मत समझ
हमने जिए जाने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरी पलकों की हलचल को ऐसे मत देख
हमने अश्क पोछने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ..
मेरी धड़कन को तू सुना न कर
हमने तेरा नाम लेने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरी नब्ज़ थामकर तू क्या गिनता है
मने तेरी छुअन पाने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ॥
मेरा चेहरा ढक कर तू अब चला जा ॥
हमने नींद लेने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं ..
1 comment:
"मेरा चेहरा ढक कर तू अब चला जा ॥
हमने नींद लेने के अंदाज़ महज़ बदल दिए हैं .."
सुन्दर लेखनी है आपकी प्रगति .
प्यार और विछोह को बखूबी उकेरती हैं आप.
पर हम तो कहेंगे कि किसी से इतना मत रूठिये. कभी मिल जाए किसी मोड़ पर ,
तो कम-से-कम दुआ -सलाम हो पाए !!!
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