
रेत के पानी में खोकर ख़ुद को अपनी प्यास बुझा रहा है..
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है
काटों के बिस्तर में जर्जर चादर ओढ़ अपनी थकान मिटा रहा है
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है
जले कागजों औ' खाली बोतलों के बाज़ार में जाने क्या खरीद रहा है
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है ..
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है
जले कागजों औ' खाली बोतलों के बाज़ार में जाने क्या खरीद रहा है
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है ..
मजबूरी की अपनी इस मिटटी से बनावटी मुस्कानें उगा रहा है
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है ..
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है ..
घंटों और क्षणों की सुइयों में फँसी बस अपनी सासें छुड़ा रहा है
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है..
इस दुनिया में हर एक शख्स जीने का अभिनय कर रहा है..